
उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में हाल ही में बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को तबाही की चपेट में ले लिया। तेज बारिश और भूस्खलन ने गांव का बाकी दुनिया से संपर्क पूरी तरह तोड़ दिया है। चारों ओर कीचड़, पानी और मलबे का डरावना मंजर फैला हुआ है। गंगोत्री नेशनल हाईवे का नामोनिशान कई जगहों से मिट चुका है। कहीं 100 तो कहीं 200 मीटर तक सड़कें बह चुकी हैं। इस प्राकृतिक आपदा के बीच भारतीय वायुसेना का ‘चिनूक’ हेलीकॉप्टर आसमान से उम्मीद बनकर धरती पर उतरा। दो रोटर वाला यह शक्तिशाली ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर, जो आमतौर पर सेना के भारी-भरकम अभियानों के लिए इस्तेमाल होता है, इस बार मानवता की सेवा में जुटा दिखा। चिनूक ने राहत सामग्री, रेस्क्यू टीमें और जरूरी उपकरण ऐसे दुर्गम स्थानों तक पहुंचाए, जहां जमीनी पहुंच असंभव हो चुकी थी।
धराली और आसपास के क्षेत्रों में आईटीबीपी और अन्य राहत एजेंसियां लगातार मलबे में फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं। लेकिन चिनूक की मदद से राहत कार्यों को नई रफ्तार और ताकत मिली है। चिनूक ने एक बार फिर साबित किया है कि आधुनिक तकनीक जब इंसानी जज़्बे के साथ मिल जाए, तो सबसे कठिन हालात में भी उम्मीद की किरण जगाई जा सकती है।


