
-नगर निगम ने बनाया है 15 शौचालयों का प्रस्ताव, 8 का हो सका है निर्माण
हल्द्वानी
: शहर में कई जगह सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के कारण आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बाजार में खरीदारी करने वाले लोगों के साथ ही बाहरी लोग भी शहर में विभिन्न कार्यों के लिए आते हैं। लेकिन सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से उन्हें दिक्कतें होती है।
नगर निगम की ओर से शहर में 15 स्थानों पर प्रीफेब्रीकेटेड सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जाना है। जिसमें से 5 स्थानों पर शौचालय बनाए जा चुके हैं। लेकिन शेष 9 शौचालयों के निर्माण के लिए उपयुक्त जगह नहीं मिल पा रही है। जिस वजह से शौचालयों का निर्माण अटका पड़ा है। प्रस्ताव के अनुसार निगम की ओर से प्रति शौचालय (स्वच्छता कॉम्प्लेक्स) पर 10.6 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। साथ ही जिन स्थानों पर बायो-डाइजेस्टर सेप्टिक टैंक नहीं हैं, वहां भी प्रति सेप्टिक टैंक के निर्माण पर 2.36 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। जबकि पूरी योजना पर कुल 187.99 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। नगर निगम की ओर से एमबीपीजी डिग्री कॉलेज के सामने, सौरभ होटल के पास पेयजल निगम के गोदाम के समीप, रानीबाग श्मशान घाट के पास, कॉलटैक्स के पास टैक्सी पार्किंग के समीप, आंबेडकर पार्क दमुवाढूंगा और मीरा मार्ग में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जा चुका है। जबकि शेष 9 शौचालय के लिए जगह मिलने के बाद ही कार्य शुरू हो पाएगा। नगर आयुक्त ऋचा सिंह ने बताया कि शेष शौचालयों के निर्माण के लिए उपयुक्त जगह तलाशी जा रही है। जगह उपलब्ध होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि ब्लॉक कार्यालय के पास भी शीघ्र कार्य शुरू किया जाएगा।
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ब्लॉक कार्यालय के पास शौचालय के कार्य में देरी-
ब्लॉक कार्यालय के पास शौचालय के निर्माण में भी देरी हो रही है। ब्लॉक कार्यालय में भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। आसपास सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के कारण वहां आने वाले लोगों के साथ ही स्थानीय दुकानदारों और आम जनता को भी दिक्कतें होती हैं। यहां शौचालय का निर्माण का अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसी तरह कमलुवागांजा चौराहे पर भी सार्वजनिक शौचालय बनाया जाना था। सड़क चौड़ीकरण के तहत यहां बीच चौराहे पर स्थित अवैध तरीके से बने भवन को ध्वस्त किए जाने के बाद सार्वजनिक शौचालय के लिए जगह उपलब्ध कराई जानी थी। लेकिन लोनिवि की ओर से चौराहे पर भी सड़क बना दी गई और नगर निगम को जगह उपलब्ध नहीं कराई गई, जिस कारण यहां शौचालय का निर्माण लटक गया है।


