
-पेयजल व सीवर लाइन बिछाने के बाद नगर निगम की अधिकांश आंतरिक सड़कें खस्ताहाल
हल्द्वानी: शहर के विभिन्न वार्डों में अधिकांश आंतरिक सड़कें बदहाल पड़ी हैं। पेयजल व सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदी गई सड़कों में गड्ढे हो चुके हैं और ये जगह-जगह उखड़ी हुई हैं। अधिकांश सड़कें 3 से 4 माह से मरम्मत की राह देख रही हैं। मानसून सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन सड़कें जस की तस पड़ी हैं। बारिश में सड़कें पानी से लबालब भर जाती हैं। जिस कारण राहगीर और दोपहिया वाहन चालक चोटिल हो जाते हैं। ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने के बाद 2 जुलाई से स्कूल खुल रहे हैं। लेकिन आंतरिक सड़कों की दुर्दशा सभी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। अमृत विचार की टीम ने शनिवार को जब पड़ताल की तो इस दौरान अधिकांश सड़कें बदहाल स्थिति में नजर आई। क्षेत्र के लोगों ने भी सड़कों की हालत को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और खुलकर अपनी समस्याएं सामने रखी। नगर आयुक्त ऋचा सिंह ने बताया कि जिन सड़कों में पेयजल व सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़कें खराब हैं, वहां यूयूएसडीए की ओर से सड़कों का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कई सड़कों में पेयजल व सीवर लाइन बिछाई जानी है, जिस वजह से इनका निर्माण नहीं किया जा रहा है।
लोगों से बातचीत- फोटो टिकट साइज
कॉलोनी में घर होने के साथ ही दुकान भी चलाता हूं। चार महीने से सड़क खोदकर छोड़ दी गई है। न तो सड़क की मरम्मत की गई और न ही इसे समतल किया गया है। बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने में समस्या होती है। बारिश के दौरान महिलाओं को भी परेशानी होती है।- शैलेंद्र सिंह रावत, सर्वोदय कॉलोनी
पेयजल व सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदी गई सड़क को तत्काल समतल किया जाना चाहिए था। लेकिन सड़क को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। चार माह होने को हैं, लेकिन सड़क की मरम्मत नहीं की गई है। जिससे स्थानीय लोगों की मुसीबतें बढ़ चुकी हैं।- शंभू शाह, सर्वोदय कॉलोनी
बारिश के बाद सड़क दलदल बन जाती है। जिससे पैदल चलना तो दूर दोपहिया वाहन चलाना भी मुश्किल हो जाता है। बारिश में सड़क जलमग्न होने पर बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए दूसरे रास्ते से ले जाना पड़ता है। आए दिन कई बच्चे और महिलाएं इसमें चोटिल हो चुके हैं।- योगेश आर्या, ओम विहार
मानसून शुरू होने के बाद लोगों की मुसीबतें और बढ़ चुकी हैं। खराब सड़क पर बरसात के दौरान बुजुर्गों का चलना दूभर हो जाता है। सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़क खस्ताहाल हो चुकी है। लेकिन इसकी मरम्मत नहीं की जा रही है। जिससे लोग परेशान हैं।- जवाहर वर्मा, सर्वोदय कॉलोनी
पड़ताल-
1.गड्ढे और जगह-जगह उखड़ी सड़क ने जज फार्म में बढ़ी मुसीबत-
जज फार्म में पेयजल व सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कें खोदी गई थी। लाइनें बिछाए हुए तीन से चार माह बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक सड़कों की मरम्मत नहीं की गई है। सड़क का आधा हिस्सा उखड़ा हुआ है और इसमें जगह-जगह गड्ढे हैं। आए दिन इन गड्ढों के कारण लोग चोटिल होते रहते हैं। खासकर बच्चों और महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र में सैकड़ों परिवार रहते हैं। सड़कों की मरम्मत के लिए क्षेत्र के लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है।
- सर्वोदय कॉलोनी में जान जोखिम में डालकर बच्चे जाते हैं स्कूल-
डहरिया क्षेत्र में सर्वोदय कॉलोनी की सड़कें करीब चार माह से खस्ताहाल पड़ी हैं। पेयजल व सीवर लाइन की खोदाई के बाद सड़कें उबड़-खाबड़ रास्ते में तब्दील हो चुकी हैं और जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं। बारिश में जलभराव होने से लोगों का सड़क से गुजरना दूभर हो रहा है। छोटे स्कूली बच्चों के आवागमन में अभिभावक अपने साथ ही बच्चों की जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरते हैं। सड़क में गड्ढे होने से बारिश में घरों के आगे तलैया बन जाती है, जिससे बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है।
3.मल्ली बमौरी में सुस्त गति से हो रहा कार्य-
मल्ली बमौरी में सरदार की कोठी वाले चौराहा से लक्ष्मीनगर क्षेत्र में सीवर लाइन डाली गई। सीवर लाइन के चलते यहां नई सड़क को खोद दिया गया। सीवर लाइन डाले हुए दो माह का समय बीत गया है लेकिन अभी तक सड़क नहीं बनाई गई है। इसी तरह लक्ष्मीनगर में भी सीवर लाइन डाली जा रही है लेकिन यह काम बेहद ही सुस्त गति से चल रहा है। जिस वजह से गली एक माह से बंद है। लोग काम की सुस्त गति की वजह से परेशान हो गए हैं।
4.ओम विहार में बारिश में सड़कें बन जाती हैं तालाब-
डहरिया क्षेत्र में ओम विहार में बारिश में सड़कें जलमग्न होकर तालाब बन जाती हैं। सड़कों की हालत इतनी खराब है कि थोड़ी सी बारिश में सड़कों में जलभराव हो जाता है। जिस कारण लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। पास में ही स्थित एक निजी स्कूल में बच्चों को पहुंचाने के लिए अभिभावकों को लंबी दूरी तय कर दूसरे रास्ते का सहारा लेना पड़ता है। लोगों का कहना है कि वह सड़क ठीक करने को लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन मानसून शुरू होने के बाद भी इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।


