
नैनीताल। वैज्ञानिकों ने पहली बार किसी सौर मंडल को जन्म लेते देखा है। यह खोज हमारे सौर मंडल समेत पृथ्वी की उत्पत्ति के रहस्य को उजागर करती है। वैज्ञानिक, ग्रहों समेत किसी भी तारे के सौर मंडल के जन्म का यह पहला प्रमाण मान रहे है। यह खोज अपने सौर मंडल का निर्माण कर रहे नवजात स्टार हॉप्स 315 नामक तारे की खोज से संभव हो सकी है।
दरअसल, पूर्व में हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति को लेकर तमाम सिद्धांत गढ़े गए हैं, लेकिन पहली बार खगोल वैज्ञानिक किसी सौर मंडल को अपनी आंखों के सामने बनता देख रहे हैं। यह खोज सौर मंडल की उत्पत्ति का पहला प्रमाण है और हमारे वैज्ञानिक जगत के सिद्धांतों की पुष्टि करती है। नीदरलैंड स्थित लीडेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मेलिसा मैकक्लेर के नेतृत्व में यह खोज हुई है। स्टार हॉप्स-315 तारा पृथ्वी से 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है। यह तारा हमारे सूर्य के समान चमकता है, जो अपने चारों ओर एक नई सौर प्रणाली के ग्रहों को अस्तित्व में ला रहा है। इस सौर मंडल में गर्म खनिज जमने लगे हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड और सिलिकॉन मोनोऑक्साइड की जेट किरणें आगे बढ़ रही है और अपने तारे से दूर भाग रहे हैं। यह प्रक्रिया किसी भी ग्रह मंडल के निर्माण की पहली कड़ी होती है।
यह खोज वैज्ञानिकों को उत्साहित करने वाली है और दशकों के परिश्रम का प्रतिफल है, जिसे लेकर खोजी टीम के वैज्ञानिक प्रोफेसर मेरेल वैन कहते हैं कि जन्म लेते सौर मंडल की यह तस्वीर वैसी ही है, जैसा कि हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति के दौरान हुआ होगा। इस सौर मंडल में हमारे अपने ग्रह मंडल के समान ग्रहों का जन्म हो रहा है जिसमें भविष्य में बृहस्पति जैसे ग्रह अस्तित्व में आएंगे। खोजकर्ता खगोलविदों का कहना है कि इस नए सौर मंडल में ग्रहों के बाद बौने ग्रह अस्तित्व में आएंगे और उसके लघु ग्रह अस्तित्व में आने लगेंगे, इनके साथ ही उल्कापिंडों का अस्तित्व सामने आएगा। इनके अलावा धूमकेतुओं को भी बनते देख सकेंगे। सबसे बड़ा तथ्य यह है कि हम इस सौर मंडल के निर्माण की प्रक्रिया को अपनी आंखों से देख सकेंगे। स्टार हॉप्स 315 के सौर मंडल की खोज चिली स्थित एटाकामा लार्ज मिलीमीटर/ सबमीतर एरे टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप के जरिए हुई है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि किसी सौर मंडल के निर्माण की प्रक्रिया को लेकर यह खोज आंखों देखी जैसी कही जा सकती है। सौर मंडल की उत्पत्ति को लेकर यह पहली खोज आश्चर्यजनक है। खगोल जगत इस खोज से उत्साहित है। अब जैसे जैसे तकनीक आगे विकसित होते जाएगी, ब्रह्मांड के छिपे रहस्य भी उजागर होते चले जाएंगे।


