
हल्द्वानी:उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड आर्थिक संघ (यूपीयूईए) का 21 वां वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। तीन दिवसीय इस सम्मेलन का विषय एक सशक्त भारत के लिए सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा को सुदृढ़ करना: चुनौतियां और नीतिगत रूपरेखा रखा गया है, जिसमें देशभर के आर्थिक विशेषज्ञ, शिक्षाविद, शोधार्थी और नीति-निर्माता भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अधिवेशन का उत्तराखंड में आयोजन गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश की शैक्षिक-नीतिगत दिशा को नई ऊर्जा मिलेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस सम्मेलन से जो विचार और सुझाव सामने आएंगे, वे प्रदेश के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे और सरकार उन पर शीघ्र अमल करेगी।
इस मौके पर विभिन्न लेखकों की पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। साथ ही संस्था के शोध जर्नल, सम्मेलन स्मारिका और अन्य प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
विवि के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि अधिवेशन केवल दो राज्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विकसित भारत की नींव रखने का एक सशक्त प्रयास है। उन्होंने कहा कि इसमें युवा शोधार्थियों से लेकर सेवानिवृत्त विशेषज्ञों तक की सहभागिता और विचार-विमर्श प्रदेश को समृद्ध बनाएगी। कहा कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय केवल डिग्रियां प्रदान करने वाला संस्थान नहीं, बल्कि नवाचार, प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता का केंद्र है।
चंपावत निवासी प्रो. धर्मकीर्ति जोशी को इस मौके पर यूपीयूईए की ओर से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत के सामाजिक-आर्थिक ढांचे की मजबूती के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को आवश्यक बताया।
सम्मेलन की रूपरेखा संस्था के महासचिव प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने प्रस्तुत की। संचालन विवि के हिन्दी विभाग के डॉ. शशांक शुक्ला और अंग्रेजी विभाग की डॉ. सुचित्रा अवस्थी ने किया। समारोह की संयोजक प्रो. मंजरी अग्रवाल रहीं। जबकि समन्वय में प्रो. गिरिजा प्रसाद पांडे ने भूमिका निभाई। इस मौके पर यूपीयूईए के अध्यक्ष प्रो. अशोक मित्तल, प्रो. पीके घोष, प्रो. अनामिका चौधरी, प्रो. रेनू प्रकाश आदि उपस्थित रहे।
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सैन्य और आर्थिक मजबूती पर डाला प्रकाश-
दोपहर बाद हुए पहले प्लेनरी सत्र में प्रो. पीके घोष ने भारत की सैन्य और आर्थिक मजबूती पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस विषय पर एक प्रभावशाली पावर पॉइंट प्रस्तुति दी। जिसमें भारत की रक्षा नीतियों, रक्षा बजट में बदलाव, स्वदेशी उत्पादन और आर्थिक दृष्टिकोण से सुरक्षा क्षेत्र में हो रहे सुधारों पर प्रकाश डाला। प्रस्तुति में भारत की आंतरिक संप्रभुता और वैश्विक रणनीतियों के समन्वय पर भी चर्चा हुई। पूरे दिन चले सत्रों में विद्यार्थियों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।


