हल्द्वानी: मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से विद्या समीक्षा केंद्र एप पर शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य किए जाने और अनुपालन नहीं करने पर शिक्षकों का वेतन रोकने संबंधी आदेश जारी किए जाने पर शिक्षकों में भारी आक्रोश फैल गया है।
आदेश को लेकर प्राथमिक शिक्षक संगठन, राजकीय शिक्षक संगठन और जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से आपत्ति जताई है। संगठनों का कहना है कि शिक्षक यदि ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, तो वह उनकी व्यक्तिगत मोबाइल, इंटरनेट और संसाधनों के सहारे हो रहा है। जिसे विभाग अब सरकारी कार्य का हिस्सा बनाना चाहता है, बिना कोई उपकरण, कनेक्टिविटी या सिम उपलब्ध कराए।
कहा कि जब संसाधन विभाग नहीं देगा, तो आदेश लागू नहीं होगा। संगठनों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी के आदेश को शिक्षकों की निजी संपत्ति में हस्तक्षेप और मनोबल गिराने वाला बताया है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी में बीती 9 जुलाई से 31 जुलाई तक शिक्षक पूरी तरह व्यस्त हैं। ऐसे में वेतन रोकने की धमकी न केवल अनुचित है, बल्कि इसका सीधा असर शिक्षकों के मनोबल और विभागीय संबंधों पर पड़ेगा। चेतावनी दी है कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो अगस्त के पहले सप्ताह में सीईओ कार्यालय में धरना प्रदर्शन और जरूरत पड़ने पर आमरण अनशन किया जाएगा। पदाधिकारियों में मनोज तिवारी (अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संगठन), गिरीश जोशी (अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संगठन), देवेंद्र कुमार (अध्यक्ष, जूनियर हाई स्कूल संगठन), बंशीधर कांडपाल, पंकज बधानी और डीएन भट्ट (महामंत्री) ने संयुक्त रूप से कहा कि जब तक यह आदेश निरस्त नहीं किया जाता, तब तक मुख्य शिक्षा अधिकारी से कोई वार्ता नहीं की जाएगी। शिक्षकों का साफ संदेश है कि न संसाधन मिलेगा, न एप पर उपस्थिति दी जाएगी।


