
हल्द्वानी। साइबर क्राइम में फंस चुके छात्र संघ के पूर्व उप सचिव करन अरोरा की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। उन पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अपमान का आरोप लगा है। उन पर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने के साथ सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने का भी आरोप है। छात्र संघ चुनाव के दौरान हमेशा विवादों में रहने वाले करन अरोरा समेत पुलिस ने उसके चार साथियों के खिलाफ नामजद और करीब 70 अज्ञात साथियों पर मुकदमा दर्ज किया है। ये घटना 15 अगस्त की है।
कोतवाली पुलिस को सौंपी तहरीर में यातायात सेल के एएसआई प्रदीप सिंह राणा ने लिखा बीती 15 अगस्त को उनकी ड्यूटी सिटी चौराहे पर थे और उनके साथ सीटी सुखदेव, होमगार्ड निर्मला, एएसआई सुरेश पाठक और प्रकाश नगरकोटी ड्यूटी पर थे। उनका कहना है कि यातायात ड्यूटी के दौरान दोपहर करीब 3 बजे नैनीताल रोड से झंडा रैली को निकाली जा रही थी। तभी रामपुर रोड की ओर से जुलूस की शक्ल में लगभग 60-70 लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में बोनट, छत व खिड़कियों में बैठकर शोरगुल अभद्रता और गाली-गलौज करते हुए आ रहे थे। उनकी इस हरकत के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। जब एएसआई प्रदीप सिंह राणा ने अपने साथियों की मदद से उक्त लोगों को रोकने का प्रयास किया तो वह लोग पत्थरबाजी करने लगे। इससे राजकार्य में बांधा पहुंची और उक्त लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज को भी रोड पर गिराकर अपमानित किया। एएसआई के मुताबिक, जुलूस के बारे में पूछने पर पता चला कि जुलूस का संचालनकर्ता करन अरोरा, अमन गुप्ता, शुभम गोस्वामी, हर्षित जोशी सहित 60-70 अज्ञात लोग थे। कोतवाल राजेश कुमार यादव ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2, बीएनएस की धारा 125, 126(2), 221, 351(2), 351(3) व 352 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आरोपियों की धर-पकड़ के प्रयास किए जा रहे हैं।
बनभूलपुरा थाना में बीते मई माह में नोएडा पुलिस पहुंची थी। मामला साइबर क्राइम से जुड़ा था। इस मामले में करन अरोरा समेत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। साइबर क्राइम से जुड़े इस मामले का मास्टर माइंड करन अरोरा और इसके दुबई में बैठे भाई को बताया गया। मामले में सावित्री कालोनी मंगलपड़ाव निवासी रमेश चंद्र पुत्र स्व.देवीदत्त ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि उसके पुराने दोस्त साजिद ने उससे कहा कि वह क्रिप्टो करेंसी में काम करता है और अगर वह भी खाता खोले तो अच्छा मुनाफा होगा। साजिद और उसके दोस्त अनस मलिक ने उद्यम विभाग में आरसी इंटर प्राइजेज के नाम से रमेश का पंजीकरण करा कर करंट एकाउंट खुलवा दिया और खाते का संचालन अपने हाथ में ले लिया। साथ ही बताया कि वह लोग करन अरोरा और उसके भाई प्रियांशु ठाकुर, मोनिस व नितिन अटवाल के साथ मिलकर क्रिप्टो करेंसी का काम करते हैं। मामले में पहली कार्रवाई नोएडा पुलिस ने की और बनभूलपुरा पहुंची। ये प्रकरण तब सामने आया जब पता लगा कि 8 से 10 दिनों के भीतर रमेश के करंट एकाउंट में एक करोड़ 20 लाख रुपए जमा हो चुके है, जो विभिन्न खातों से आए थे। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4) व 61(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।


