
हल्द्वानी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार निष्पक्ष रूप से चुनाव कराने में बुरी तरह विफल रही है। उन्होंने और विधायक प्रीतम सिंह ने कार्य मंत्रणा समिति से भी इस्तीफा दे दिया है। आर्य ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचायतों को संवैधानिक दर्जा मिला है, लेकिन राज्य सरकार ने जानबूझकर पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के आठ महीने बाद भारी बरसात के बीच चुनाव कराए, जबकि ये चुनाव सुरक्षित समय में कराए जा सकते थे। कहा कि सत्ता पक्ष ने पहले आरक्षण प्रणाली में हेरफेर कर अपने अनुकूल सीटें सुनिश्चित कीं, जिससे कई वर्गों के लोग चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया गया। इसके बाद प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए भी आरक्षण अपने लोगों के पक्ष में तय किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 243 का उल्लंघन है। आर्य ने नैनीताल, बेतालघाट, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और ऊधमसिंह नगर में पुलिस संरक्षण में हुई अपराधिक घटनाओं को देवभूमि के लिए कलंक बताते हुए कहा कि उत्तरकाशी की आपदा के समय सरकार का ध्यान राहत कार्यों पर नहीं, बल्कि पंचायत पद हथियाने पर था। विधानसभा के मानसून सत्र पर भी नेता प्रतिपक्ष ने निराशा जताई। उन्होंने बताया कि विपक्ष पंचायत चुनावों में हुई अनियमितताओं और आपदा पर नियम 310 के तहत चर्चा चाहता था, लेकिन बिना कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। कहा कि इन हालातों में कार्य मंत्रणा समिति में बने रहना व्यर्थ है। इसलिए उन्होंने और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने समिति से इस्तीफा देने का फैसला लिया है।


